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क्षय(TB) रोगियों का फॉलो-अप(Follow-up)

 

क्षयरोग(TB) के उपचार की सफलता जानने और यह निश्चित करने के लिये कि रोगी पूर्ण रूप से ठीक(Cured) हो गया है, हर चार सप्ताह के उपचार के अंत में रोगी की डॉक्टर द्वारा जांच की जाती  है. इसके अलावा उपचार के प्रत्येक चरण - इन्टेन्सिव फेज़(I.P.)  और  कंटीन्यूएशन फेज(C.P.) के अंत में बलगम की जांच भी की जाती है।

डॉक्टर द्वारा की गयी लक्षणों एवं बलगम की जांच के दौरान क्षय(TB) रोगियों का निम्न समस्यायों  का भी आंकलन किया जाता है:

  • दवाओं से होने वाले दुष्परिणामों(ADR) की पहचान की जाती है;
  • कोई अन्य सहवर्ती बीमारी(Comorbidities) - जैसे की डायबिटीज या एचआईवी के लिये जांच की जाती है
  • वजन की जांच की जाती है - बढ़ना या कम होना ;
  • रोगी दवाइयाँ ठीक ढंग से ले रहा है या नहीं और उनके लक्षणों के आधार पर उपचार की सफलता निर्धारित कि जाती है

उपचार के मामले में प्रत्येक रोगी के सुधार(Response) की अलग अलग स्थिति  होती है, लेकिन क्षयरोग(TB) के लक्षणों में धीरे-धीरे सुधार होना चाहिए और अंततः रोगी ठीक हो जाना चाहिए।

जिन रोगियों में उपचार के पहले 2 महीनों के दौरान लक्षणों में सुधार नहीं होता है या जिनके लक्षण शुरू में सुधार के बाद बिगड़ जाते हैं, ऐसे रोगी दवाइयाँ ठीक तरीके से ले रहे है या नहीं या तो उन रोगियों में दवा प्रतिरोध(Drug Resistance) उत्पन्न हो गया है  की जांच की जानी चाहिए |

 

 

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drharshshah Tue, 21/03/2023 - 16:38

Added two sentences for DRTB patients. 

"TB patients are followed up based on the type and duration of the treatment regimen. A day may be identified by N/DDR-TBC for all monthly visits of the DR TB patients. Any patients on DR TB regimen should be assessed by a treained doctor in PMDT guidelines for clinical evaluation and if required for other diagnostics tests. "